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गोवा में ‘युवा फिल्म निर्माता: भविष्य अभी है’ थीम वाले 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव की शानदार शुरुआत

आरएस अनेजा, नई दिल्ली

गोवा के खूबसूरत तटों पर बहुचर्चित फिल्मी हस्तियों और जोशीले सिनेमा प्रेमियों की शानदार मौजूदगी में 55वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) की शुरुआत हुई। भारत की सांस्कृतिक एकता और विविधता को दर्शाने वाले रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने सभी का मन मोह लिया और रचनात्मकता और सिनेमाई प्रतिभा के उत्सव के नौ दिनों की शानदार शुरुआत हुई। दुनिया भर के सिनेमा प्रेमियों के लंबे इंतजार को खत्म करते हुए 55वें आईएफएफआई की शुरुआत प्रसिद्ध ऑस्ट्रेलियाई फिल्म निर्माता माइकल ग्रेसी की फीचर फिल्म ‘बेटर मैन’ की स्क्रीनिंग के साथ हुई।


भव्य उद्घाटन समारोह में सिने-जगत के कुछ प्रतिभाशाली सितारों को सिने-प्रेमियों की उपस्थिति में सम्मानित किया गया, जिसकी मेजबानी लोकप्रिय फिल्मी हस्तियों अभिषेक बनर्जी और भूमि पेडनेकर ने की। फिल्म जगत के दिग्गजों सुभाष घई, चिदानंद नाइक, बोमन ईरानी, ​​आर के सेल्वामणि, जयदीप अहलावत, जयम रवि, इशारी गणेश, आर सरथ कुमार, प्रणिता सुभाष, जैकी भगनानी, रकुल प्रीत सिंह, रणदीप हुडा और राजकुमार राव को सिनेमा में उनके अपार योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

भारतीय परंपराओं का पालन करते हुए, गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने राज्यसभा सांसद श्री सदानंद शेट तनावड़े, सूचना एवं प्रसारण सचिव श्री संजय जाजू, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, महोत्सव के निदेशक श्री शेखर कपूर, सीबीएफसी के अध्यक्ष श्री प्रसून जोशी और प्रसार भारती के अध्यक्ष श्री नवीन कुमार सहगल आदि गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में नारियल के पौधे को पानी देकर फिल्म महोत्सव का औपचारिक उद्घाटन किया।  

इस अवसर पर गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने कहा कि गोवा और आईएफएफआई सचमुच एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। डॉ. सावंत ने कहा, "जब आप आईएफएफआई के बारे में सोचते हैं, तो आपको गोवा याद आता है और जब आप गोवा के बारे में सोचते हैं, तो आपको आईएफएफआई याद आता है।" डॉ. सावंत ने सभी गोवावासियों की ओर से गोवा में महोत्सव के सभी प्रतिनिधियों का गर्मजोशी से स्वागत किया।

"भारत क्रिएटर्स की दुनिया को आकार देने में एक अहम भूमिका निभा सकता है"

एक वीडियो संदेश में, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आईएफएफआई भारतीय फिल्म उद्योग के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन गया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि कंटेंट क्रिएटर्स की अर्थव्यवस्था को विकसित करने पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है, जो जीवंत है और तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा, "लोग ऐसे नए तरह के कंटेंट के साथ आ रहे हैं जो भारत की विविध संस्कृतियों, व्यंजनों, समृद्ध विरासत और भारतीय साहित्य और भाषाओं के रत्नों को दिलचस्प और रचनात्मक तरीकों से प्रदर्शित करते हैं।" उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के एकीकरण और एक मजबूत क्यूरेटर इकोसिस्टम के विकास के साथ भारत क्रिएटर्स की अर्थव्यवस्था को आकार देने में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है।

श्री वैष्णव ने आईएफएफआई से नई साझेदारियों और नए विचारों के उभरने की भी उम्मीद जताई। उन्हें नई पहलों से जुड़ी उम्मीदें भी हैं, जिसके माध्यम से कुछ युवा क्रिएटर्स को संरक्षण और मार्गदर्शन मिलेगा। उन्होंने कहा, "इस आयोजन के दौरान साझा किए गए विचार आने वाले वर्षों में उद्योग को नई दिशा देने में मदद करेंगे।"

“आईएफएफआई भारतीय सिनेमा को बढ़ावा दे रहा है और इसके लिए विभिन्न पहल कर रहा है”

एक वीडियो संदेश के माध्यम से, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने कहा कि आईएफएफआई भारतीय सिनेमा को बढ़ावा देने का प्रयास करता है और इसे सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न पहल करता है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार फिल्म-पायरेसी को रोकने में फिल्म उद्योग का समर्थन करने का प्रयास कर रही है। इसके अलावा, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा फिल्मों को सहूलियत देने के लिए शुरू की गई एकल-खिड़की प्रणाली ने फिल्म-शूटिंग के लिए मंजूरी प्राप्त करना आसान बना दिया है। विभिन्न सब्सिडी के साथ इस पहल ने फिल्म निर्माताओं के लिए कारोबारी सुगमता बढ़ा दी है। डॉ. मुरुगन ने उल्लेख किया कि आईएफएफआई में क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो (सीएमओटी) पहल शुरू हुई, जहां सौ युवा रचनात्मक व्यक्तियों को फिल्म दिग्गजों से मार्गदर्शन लेने और उनके साथ बातचीत से लाभान्वित होने का अवसर मिलेगा। राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि दुनिया के सबसे बड़े फिल्म समारोहों में से एक आईएफएफआई को 1000 से अधिक प्रविष्टियां मिलीं। डॉ. एल. मुरुगन ने यह भी कहा कि, आईएफएफआई इस वर्ष का सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रख्यात ऑस्ट्रेलियाई फिल्म निर्माता फिलिप नॉयस को देने पर गौरव महसूस कर रहा है।

“फिल्म महोत्सव का उद्देश्य लोगों को करीब लाना और एक-दूसरे की कहानियां बताना होना चाहिए”

फिल्म जगत के दिग्गज और महोत्सव निदेशक श्री शेखर कपूर ने आग्रह किया, “आइए हम एक-दूसरे को अपनी कहानियां बताएं।” उन्होंने कहा, “एक ध्रुवीकृत दुनिया में एक राष्ट्र, राष्ट्रों और समुदायों के भीतर, एक-दूसरे से बात करने का एकमात्र तरीका अपनी कहानियां बताना है।” प्रसिद्ध फिल्म निर्माता ने कहा कि इससे हम एक-दूसरे के करीब आएंगे और दुनिया की कई समस्याओं का समाधान होगा, इसलिए हमें फिल्म महोत्सवों का आयोजन जारी रखना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि भारत का फिल्म उद्योग सबसे बड़ा है और यह दुनिया का सबसे बड़ा कंटेंट निर्माता और कंटेंट उपभोक्ता है। आईएफएफआई के महोत्सव निदेशक श्री शेखर कपूर ने कहा कि यह फिल्म महोत्सव न केवल फिल्म निर्माताओं, बल्कि दर्शकों का भी उत्सव है।

“पूरी दुनिया एक कहानी सुनाने का मंच है”

आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर भी गणमान्य व्यक्तियों के बीच मौजूद थे। इस अवसर पर, श्री श्री रविशंकर ने कहा, “हर जीवन एक फिल्म की तरह है। मैं लोगों से मिलता हूं और उनकी कहानियां सुनता हूं। पूरी दुनिया एक कहानी सुनाने का मंच है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय पौराणिक कथाओं में देवताओं को मनोरंजन के साधनों से जोड़ा जाता है, जैसे भगवान शिव को डमरू बजाते हुए, देवी सरस्वती को वीणा बजाते हुए, भगवान कृष्ण को बांसुरी बजाते हुए नजर आते हैं। भारतीय संस्कृति मनोरंजन से जुड़ी हुई है, जो हमें खुशहाल जीवन जीने में मदद करती है। इस अवसर पर, निर्माता श्री महावीर जैन ने कोलंबिया के गृहयुद्ध को समाप्त करने में श्री श्री रविशंकर द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर आधारित फिल्म का पहला लुक जारी किया।