केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने पंचकूला में टीबी के मामलों और मृत्यु दर को कम करने के लिए सौ दिवसीय राष्ट्रव्यापी अभियान का शुभारंभ किया
आरएस अनेजा, नई दिल्ली
भारत के टीबी उन्मूलन प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज हरियाणा के पंचकूला में राज्य के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव की मौजूदगी में एक सौ दिवसीय गहन टीबी उन्मूलन अभियान का शुभारंभ किया। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव और अनुप्रिया पटेल भी इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए। देश भर के 347 जिलों में लागू किए जाने वाले इस अभियान का लक्ष्य टीबी के छूटे हुए मामलों, खासकर उच्च जोखिम वाले समूहों में, का पता लगाना और उनका इलाज करना तथा टीबी से होने वाली मौतों को काफी हद तक कम करना है।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने टीबी को समाप्त करने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता पर रोशनी डाली और कहा कि यह अभियान टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को नई गति देने के इरादे से शुरू किया गया है। यह बताते हुए कि ये 100 दिनों का एक केंद्रित अभियान होगा, उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य 347 सबसे अधिक प्रभावित जिलों में टीबी रोगियों का शीघ्र पता लगाना और उनका उपचार करना होगा।
श्री नड्डा ने टीबी के खिलाफ लड़ाई में देश के लंबे संघर्ष पर प्रकाश डाला। “एक समय था जब टीबी को ‘धीमी गति से होने वाली मौत’ माना जाता था और यहां तक कि टीबी से पीड़ित परिवार के सदस्यों को भी इसके प्रसार को रोकने के लिए अलग कर दिया जाता था। और 1962 से, टीबी के खिलाफ कई अभियान चलाए गए हैं, लेकिन 2018 में माननीय प्रधान मंत्री ने सतत विकास लक्ष्यों की 2030 की समय सीमा से बहुत पहले टीबी को समाप्त करने का विजन रखा।”
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि टीबी सेवाओं को रोगी-अनुकूल और विकेंद्रीकृत बनाने के लिए बहुत सी नई रणनीतियां अपनाई गई हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में टीबी का पता समय से पहले ही चल जाता है, जिसका श्रेय देश भर में 1.7 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों को जाता है। श्री नड्डा ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सरकार ने 2014 में प्रयोगशालाओं की संख्या 120 से बढ़ाकर आज 8,293 प्रयोगशालाओं तक करके नैदानिक सेवाओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है। उन्होंने आगे कहा, "केंद्र सरकार ने दवाओं के प्रति संवेदनशील टीबी के लिए एक नई छोटी और अधिक प्रभावी व्यवस्था सहित दैनिक आहार शुरू किया है, जिससे टीबी के उपचार की सफलता दर 87 प्रतिशत तक बढ़ गई है।"
श्री नड्डा ने बताया कि 1.17 करोड़ से अधिक टीबी रोगियों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से 3,338 करोड़ रुपये की निक्षय सहायता प्रदान की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने हाल ही में निक्षय पोषण राशि को 500 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये कर दिया है और टीबी रोगियों के पोषण सहायता के लिए ऊर्जा बूस्टर जोड़े हैं।सरकार ने अब निजी चिकित्सकों के लिए भी यह अनिवार्य कर दिया है कि वे किसी भी नए टीबी रोगी को सूचित करें, ताकि उनका उपचार फौरन शुरू किया जा सके। उन्होंने कहा, "यह एक छोटा कदम लग सकता है, लेकिन इससे निजी क्षेत्र में टीबी के बारे में सूचित करने की दर में 8 गुना वृद्धि हुई है।"
उन्होंने यह भी बताया कि भारत में टीबी की कमी की दर 2015 में 8.3 प्रतिशत से दोगुनी होकर आज 17.7 प्रतिशत हो गई है, जो वैश्विक औसत से बहुत आगे है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 10 वर्षों में भारत में टीबी के कारण होने वाली मौतों में भी 21.4 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी आई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सभी हितधारकों को टीबी को खत्म करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए प्रेरित करते हुए अपना संबोधन समाप्त किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि हरियाणा से इस 100 दिवसीय गहन टीबी अभियान की शुरुआत हुई है और उन्होंने आश्वासन दिया कि हरियाणा, देश में टीबी के खिलाफ लड़ाई में एक प्रमुख भूमिका निभाने का प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि भारत ने जनभागीदारी, निक्षय पोषण योजना, फिट इंडिया और खेलो इंडिया जैसे सफल अभियानों के माध्यम से टीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, जिसकी दुनिया भर में प्रशंसा की जाती है।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री अनिल विज व अन्य गणमान्य मौजूद रहे।