निस्वार्थ भाव से किया गया कार्य व्यक्ति को सदैव सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाता है - केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान
चंडीगढ़ 11 दिसंबर: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 5161 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से पूरे विश्व को भगवद गीता का संदेश दिया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कर्म के मोह से मुक्त होकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। जैसा कि भगवद्गीता में बताया गया है, इसके परिणाम न केवल आध्यात्मिक रूप से गहन हैं, बल्कि वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुरूप भी हैं।
श्री शिवराज सिंह चौहान आज कुरुक्षेत्र में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति फल की इच्छा से काम करता है, वह निरंतर परेशान रहता है, जबकि जो निस्वार्थ भाव से काम करता है, वह सफलता की ऊंचाइयों को छूता है। देश की भावी पीढ़ी को आज के संदर्भ में भगवद गीता की शिक्षाओं को पढ़ना, समझना और अपनाना चाहिए इसके ज्ञान को अपनाकर युवाओं को अपने जीवन में महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए तथा उन्हें प्राप्त करने के लिए कर्म पथ पर चलना चाहिए।
गीता मनीषी स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज द्वारा भगवद् गीता की शिक्षाओं के प्रसार के प्रयासों की सराहना करते हुए केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत हजारों वर्षों से ऋषियों और संतों की पवित्र भूमि रही है। उन्होंने कहा कि, वे हमेशा पूरे विश्व के कल्याण के बारे में सोचते थे। वे सभी को अपना मानते थे और सभी के कल्याण के लिए प्रार्थना करते थे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस पावन धरती पर युवा पीढ़ी को विश्व कल्याण के लिए धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश तेजी से प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि भारत शीघ्र ही विश्व गुरु बनकर उभरेगा। उन्होंने गीता जयंती समारोह में आमंत्रित करने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी का आभार भी व्यक्त किया।
इस अवसर पर बोलते हुए गीता मनीषी स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज ने देशवासियों को गीता जयंती की बधाई दी। उन्होंने बताया कि इस पावन अवसर पर 45 देशों से लगभग 1.50 करोड़ लोगों के साथ-साथ भारत और विदेशों के 4000 केंद्रों से प्रतिभागी शामिल हुए। हरियाणा के सभी जिलों के 100 से अधिक जिलों के 100 से अधिक छात्रों ने वैश्विक गीता पाठ और "एक मिनट, एक साथ, गीता पाठ" पहल में भाग लिया। उन्होंने सरकार के प्रयासों की सराहना की, जिससे गीता महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने में मदद मिली है, जिसके तहत कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। स्वामी श्री ज्ञानानंद जी ने इस बात पर जोर दिया कि यदि बचपन से ही गीता का अध्ययन किया जाए तो इससे भावी पीढ़ी को लाभ होगा, वे अधिक सशक्त और सशक्त बनेंगे तथा अंततः हमारे देश की महानता का मार्ग प्रशस्त होगा।