रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों से अत्याधुनिक नवाचार में भारत की स्थिति सशक्त करने के लिए उच्च तकनीक में विशेषज्ञता हासिल करने का आह्वान किया

आरएस अनेजा, नई दिल्ली 19 दिसम्बर।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों से बदलते समय के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी उच्च-स्तरीय तकनीकों पर नियंत्रण हासिल करने का आह्वान किया है, जिसका उद्देश्य उन्नत, अग्रणी और अत्याधुनिक नवाचार के क्षेत्र में भारत की स्थिति को और मजबूत करना है। श्री सिंह 19 दिसंबर, 2024 को आईआईटी दिल्ली में भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी के वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ये विशिष्ट प्रौद्योगिकियां आने वाले समय में लगभग हर क्षेत्र को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने वाली हैं। उन्होंने कहा कि अभी हम शुरुआती चरण में हैं। हमारा उद्देश्य सबसे पहले इन प्रौद्योगिकियों पर नियंत्रण हासिल करना होना चाहिए, ताकि भविष्य में इनका उपयोग लोगों के कल्याण के लिए किया जा सके और उनकी तत्काल बुनियादी आवश्‍यकताओं को पूरा किया जा सके।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया निरंतर विकसित हो रही है और रक्षा क्षेत्र इस परिवर्तन से बचा नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि पहले कुछ कारणों से भारत आधुनिक हथियारों और तकनीक के मामले में पीछे रह गया था, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अभूतपूर्व गति से रक्षा में आत्मनिर्भरता की ओर तीव्र गति से अग्रसर है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि आधुनिक युद्धकला में तेज गति से बदलाव हो रहा है, इसलिए उच्च तकनीक अपनाने की जरूरत है। इस दिशा में हमने युवाओं की प्रतिभा को सामने लाने के लिए रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) और प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) जैसी योजनाएं शुरू की हैं, जिसके माध्यम से उनके साथ-साथ देश के सपने भी साकार हो सकते हैं।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत एक निर्णायक दौर से गुज़र रहा है और वह कभी आयात किए जाने वाले हथियारों का भी आज निर्यात कर रहा है। उन्होंने इस क्रांतिकारी परिवर्तन का श्रेय सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों, शिक्षाविदों और इंजीनियरों और नवोन्मेषकों के सामूहिक प्रयासों को दिया और विश्वास जताया कि देश जल्द ही वैश्विक क्षेत्र में एक सशक्‍त तकनीकी बढ़त हासिल कर लेगा।

रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ के सहयोग से देश के वैज्ञानिक विकास में आईआईटी की भूमिका की सराहना की, साथ ही उन्होंने उद्योग, अनुसंधान एवं विकास संगठनों और शिक्षाविदों के बीच और भी बेहतर मौलिक संबंध स्थापित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विकसित देशों में शैक्षणिक परिसर अग्रणी प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आईआईटी दिल्ली और उच्च वैज्ञानिक शिक्षा एवं उत्कृष्टता के समान संस्थानों को सरकार के विकास अभियान के साथ जोड़ने के तरीके तलाशने की आवश्यकता है।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत इस समय सबसे युवा देश है। हमारे युवाओं में नया करने का जुनून और क्षमता है। हमारी सरकार हर कदम पर उनके साथ खड़ी है। हम उनके नवाचार को प्रोत्साहित करते हैं और उनकी ज़रूरतों के हिसाब से उन्हें निधि उपलब्‍ध कराते हैं। भारत आज नवाचार और स्टार्ट-अप का केंद्र बन गया है, जिसकी वजह से हम लगातार तकनीकी कौशल हासिल कर रहे हैं। हम हमेशा अपने इंजीनियरों और इनोवेटर्स के साथ खड़े रहेंगे। हमारे संयुक्त प्रयासों से हम 'आत्मनिर्भर भारत' के अपने सपने को साकार करेंगे।

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